- थाई अभिनेता रुआंगसाक जेम्स लोयचुसाक और एयर इंडिया हादसे के एकमात्र जीवित यात्री विश्वास कुमार रमेश दोनों सीट 11A पर थे। 27 साल पहले थाई अभिनेता भी इसी सीट पर बैठकर बचे थे।
नई दिल्ली (खबरी दोस्त): थाईलैंड के मशहूर अभिनेता और गायक रुआंगसाक जेम्स लोयचुसाक ने हाल ही में सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाला खुलासा किया, जिसमें उन्होंने 27 साल पहले हुए एक विमान हादसे में अपनी जान बचने की कहानी साझा की। आश्चर्यजनक रूप से, उनकी कहानी अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के एकमात्र जीवित यात्री विश्वास कुमार रमेश से एक अजीब संयोग से जुड़ती है—दोनों सीट 11A पर बैठे थे।
रुआंगसाक ने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “भारत में हुए विमान हादसे का एकमात्र जीवित यात्री मेरी ही सीट नंबर 11A पर बैठा था। रोंगटे खड़े हो गए।” उन्होंने 12 जून 2025 को अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया उड़ान AI-171 हादसे के पीड़ितों के प्रति संवेदना भी व्यक्त की, जिसमें 242 यात्रियों में से 241 की मौत हो गई थी।
सीट 11A का रहस्य
रुआंगसाक, जो अब 47 वर्ष के हैं, 11 दिसंबर 1998 को थाई एयरवेज उड़ान TG261 में सवार थे, जब वह बैंकॉक से सूरत थानी जाते समय लैंडिंग के दौरान एक दलदल में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में 146 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों में से 101 की मौत हो गई थी, और 45 लोग घायल हुए थे। रुआंगसाक, जो उस समय 20 वर्ष के थे, सीट 11A पर बैठे थे और चमत्कारिक रूप से बच गए।
हाल ही में, एयर इंडिया की उड़ान AI-171, जो अहमदाबाद से लंदन के गैटविक हवाई अड्डे जा रही थी, टेकऑफ के कुछ ही सेकंड बाद बीजे मेडिकल कॉलेज के एक हॉस्टल भवन से टकरा गई। इस हादसे में केवल एक यात्री, 40 वर्षीय ब्रिटिश-भारतीय विश्वास कुमार रमेश, जीवित बचे, जो सीट 11A पर बैठे थे। रमेश, जो अपने भाई अजय के साथ यात्रा कर रहे थे, को विमान के टकराने पर आपातकालीन निकास के पास से बाहर फेंक दिया गया और वे पास की एक एम्बुलेंस तक चलकर पहुंचे।
रमेश ने बताया, “टेकऑफ के 5-10 सेकंड के भीतर ऐसा लगा जैसे विमान हवा में अटक गया। अचानक रोशनी हरी और सफेद होने लगी, फिर विमान किसी इमारत से टकरा गया।” उन्होंने बताया कि आपातकालीन निकास टूट गया था, जिससे वे बाहर निकल पाए।
रुआंगसाक का दर्दनाक अनुभव
रुआंगसाक ने मेलऑनलाइन को बताया कि 1998 के हादसे के बाद उन्हें एक दशक तक उड़ान भरने में डर लगता था। उन्होंने कहा, “मैं किसी से बात नहीं करता था और हमेशा खिड़की से बाहर देखता रहता था, किसी को इसे बंद करने नहीं देता था ताकि मुझे सुरक्षित महसूस हो। अगर बाहर काले बादल या बारिश दिखती थी, तो मुझे बहुत बुरा लगता था, जैसे मैं नरक में हूं। मैं दुर्घटना की आवाज़, जलने की गंध, और दलदल के पानी का स्वाद आज भी याद करता हूं।”
उन्होंने कहा कि हादसे के बाद के वर्षों को उन्होंने “दूसरा जीवन” माना है, और इसने उनके जीवन को गहराई से प्रभावित किया। हालांकि उनके पास अब 1998 की बोर्डिंग पास नहीं है, लेकिन समकालीन समाचार पत्रों ने उनके सीट नंबर 11A की पुष्टि की थी।
जनता की प्रतिक्रिया और विशेषज्ञों की राय
रुआंगसाक के फेसबुक पोस्ट के वायरल होने के बाद, सीट 11A को “लकी सीट” के रूप में देखा जाने लगा, और कई लोग इसे बुक करने की इच्छा जता रहे हैं। X पर कुछ यूजर्स ने इसे “अविश्वसनीय” और “रहस्यमयी” बताया, जबकि एक यूजर ने मजाक में कहा, “यह सीट अब बहुत महंगी हो जाएगी!”
हालांकि, विमानन विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया कि सीट 11A का जीवित रहना संयोग है और यह आपातकालीन निकास के पास होने के कारण सुरक्षित हो सकता है, न कि सीट नंबर के कारण। सिडनी स्थित AvLaw एविएशन कंसल्टिंग के चेयरमैन रॉन बार्ट्स ने रॉयटर्स को बताया, “इस मामले में, क्योंकि यात्री आपातकालीन निकास के पास बैठा था, यह उस दिन सबसे सुरक्षित सीट थी। लेकिन यह हमेशा 11A नहीं होता, यह बोइंग 787 के इस कॉन्फ़िगरेशन में 11A था।”
रुआंगसाक की संवेदना
रुआंगसाक ने अपने पोस्ट में एयर इंडिया हादसे में मारे गए लोगों के परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की। उन्होंने लिखा, “मैं उन सभी लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने इस त्रासदी में अपने प्रियजनों को खोया।” उनकी कहानी ने उन लोगों के साथ एक भावनात्मक रिश्ता बनाया है जो ऐसी त्रासदियों से गुजरे हैं, जैसे कि 1985 में नेवादा विमान हादसे के एकमात्र जीवित बचे जॉर्ज लैमसन जूनियर, जिन्होंने X पर लिखा कि भारत के हादसे की खबर ने उन्हें झकझोर दिया।
जांच और संदर्भ
एयर इंडिया हादसे की जांच जारी है, जिसमें ब्लैक बॉक्स बरामद हो चुका है और कई एजेंसियां कारणों की तलाश कर रही हैं। रुआंगसाक की कहानी ने इस त्रासदी को एक अनोखा दृष्टिकोण दिया है, जिसने विश्व भर में लोगों का ध्यान खींचा है।
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