खबरी दोस्त, हेल्थ डेस्क: ठंड का मौसम शुरू होते ही कई तरह के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जिनमें वायरल निमोनिया तेजी से फैलने वाली समस्या के रूप में सामने आता है। वायरल निमोनिया फेफड़ों में वायरस के कारण होने वाला संक्रमण है, जिसमें फेफड़ों में सूजन बढ़ जाती है और सांस लेने में दिक्कत होती है। यह सामान्य निमोनिया से अलग होता है क्योंकि सामान्य निमोनिया बैक्टीरिया, वायरस या फंगस—किसी भी कारण से हो सकता है, जबकि वायरल निमोनिया केवल वायरस के संक्रमण से फैलता है। मौसम में ठंडक आने के साथ वायरस की सक्रियता बढ़ने लगती है, जिससे यह बीमारी अधिक तेजी से लोगों को प्रभावित करती है।
वायरल निमोनिया की शुरुआत साधारण सर्दी और खांसी जैसी ही होती है, लेकिन समय पर ध्यान न देने पर यह गंभीर रूप ले सकता है। इसके आम लक्षणों में बुखार, सूखी खांसी, सांस फूलना, सीने में भारीपन, थकान, ठंड लगना और शरीर में दर्द शामिल हैं। कई मरीजों में भूख कम लगना और तेज सांसें चलना भी देखने को मिलता है। यह बीमारी बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए अधिक खतरनाक होती है। इसके अलावा अस्थमा, हार्ट डिजीज, किडनी समस्या या डायबिटीज वाले मरीजों को वायरल निमोनिया का खतरा और बढ़ जाता है। ऐसी स्थिति में समय पर पहचान और सही इलाज बेहद आवश्यक होता है।
विशेषज्ञ बताते हैं कि सर्दियों में वायरल निमोनिया का जोखिम इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि कम तापमान इम्यूनिटी को कमजोर कर देता है। लेडी हार्डिंग अस्पताल के डॉक्टर एल.एच. घोटेकर के अनुसार, ठंड में हवा ज्यादा सूखी होती है, जिससे नाक और गले की सुरक्षा परत प्रभावित होती है और वायरस को शरीर में घुसने का मौका मिलता है। साथ ही, सर्दियों में लोग ज्यादातर समय बंद कमरों में साथ रहते हैं, जिससे संक्रमण एक-दूसरे तक तेजी से पहुंचता है। इस मौसम में फ्लू, आरएसवी और अन्य श्वसन वायरस भी ज्यादा सक्रिय होते हैं, जो वायरल निमोनिया का बड़ा कारण हैं। ठंड से रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे संक्रमण के खिलाफ शरीर की प्राकृतिक सुरक्षा और कमजोर हो जाती है।
वायरल निमोनिया से बचने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञ कुछ जरूरी निवारक उपाय अपनाने की सलाह देते हैं। सर्द मौसम में शरीर को गर्म रखने के लिए गर्म कपड़ों का इस्तेमाल करना चाहिए और ठंडी हवा से बचना चाहिए। हाथों की नियमित सफाई, फेस मास्क का उपयोग और घर को हवादार रखना संक्रमण की संभावना कम करता है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने के साथ तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाना फायदेमंद होता है। फ्लू वैक्सीन भी वायरल इंफेक्शन से बचाने में मदद करती है, इसलिए बच्चों, बुजुर्गों और गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोगों को इसे जरूर लगवाना चाहिए। खांसी या बुखार बढ़ने पर इलाज में देरी नहीं करनी चाहिए। इम्यूनिटी बढ़ाने वाले भोजन जैसे विटामिन-सी और प्रोटीन युक्त चीजों को रोजाना के आहार में शामिल करने से भी जोखिम कम होता है।




