नई दिल्ली, 23 फरवरी 2025 – हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व होता है, और हर एकादशी को भगवान विष्णु की आराधना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली विजया एकादशी को पुण्यदायी और मनोकामनाओं को पूरा करने वाली एकादशी माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति को जीवन में सभी प्रकार की परेशानियों से छुटकारा मिलता है और सफलता प्राप्त होती है।

विजया एकादशी 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त

इस वर्ष विजया एकादशी का व्रत 23 फरवरी 2025, रविवार को आरंभ हो रहा है और 24 फरवरी 2025, सोमवार को समाप्त होगा। जो लोग इस व्रत को रखेंगे, उन्हें अगले दिन द्वादशी तिथि पर व्रत पारण करना चाहिए।

???? एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 फरवरी 2025, रविवार दोपहर 1:56 बजे
???? एकादशी तिथि समाप्त: 24 फरवरी 2025, सोमवार दोपहर 1:45 बजे
???? व्रत पारण (उपवास तोड़ने का समय): 25 फरवरी 2025, मंगलवार सुबह 6:58 बजे से 9:12 बजे तक

विजया एकादशी व्रत का महत्व

हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, विजया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति अपने जीवन की सभी समस्याओं से मुक्ति पा सकता है। इस व्रत का नाम “विजया” इसलिए पड़ा क्योंकि इसे करने से हर कार्य में विजय प्राप्त होती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ माना जाता है जो अपने कार्यों में बार-बार असफलता का सामना कर रहे हैं या किसी कठिन संघर्ष से गुजर रहे हैं। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस व्रत को पूरी निष्ठा से करता है, उसे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

व्रत और पूजा विधि

विजया एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति आती है और सभी कष्टों का निवारण होता है। पूजा के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है:

✅ प्रातःकाल स्नान कर व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
✅ भगवान को तुलसी, पीले फूल, फल, और पंचामृत अर्पित करें।
✅ दिनभर उपवास रखें, चाहें तो फलाहार कर सकते हैं, लेकिन अन्न का सेवन न करें।
✅ श्रीहरि के मंत्रों का जाप करें और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
✅ रात्रि में जागरण कर भजन-कीर्तन करें और धार्मिक ग्रंथों का पाठ करें।
✅ अगले दिन द्वादशी तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और जरूरतमंदों को दान दें, फिर व्रत का पारण करें।

विजया एकादशी से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रेता युग में जब भगवान श्रीराम अपनी सेना के साथ लंका पर आक्रमण करने जा रहे थे, तो समुद्र पार करने की समस्या उत्पन्न हो गई। तब महर्षि वशिष्ठ ने श्रीराम को विजया एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। भगवान श्रीराम ने इस व्रत का पालन किया, जिसके फलस्वरूप उन्हें विजय प्राप्त हुई और लंका पर आक्रमण करने में सफलता मिली। इसी कारण इस एकादशी को “विजया” नाम दिया गया, क्योंकि यह हर कार्य में विजय दिलाने वाली मानी जाती है।

विजया एकादशी व्रत के लाभ

???? इस व्रत को करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
???? जीवन में आ रही कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है और सफलता के मार्ग खुलते हैं।
???? मानसिक शांति, आध्यात्मिक बल और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
???? आर्थिक तंगी दूर होती है और धन-संपत्ति में वृद्धि होती है।
???? घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है।

विजया एकादशी का व्रत केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि मानसिक और शारीरिक शुद्धि के लिए भी बेहद लाभकारी माना जाता है। यह व्रत साधकों को आत्मसंयम और दृढ़ निश्चय की सीख देता है। यदि आप अपने जीवन में किसी समस्या से जूझ रहे हैं या किसी विशेष कार्य में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस शुभ दिन पर भगवान विष्णु की आराधना और व्रत करना अत्यंत फलदायी होगा.

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