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कनाडा के नए नेता को भारत विरोधी आरोपों को नकारना चाहिए और आतंकवाद से निपटना चाहिए

नई दिल्ली – कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, जिन्होंने लगभग एक दशक तक सत्ता में बने रहने के बावजूद कई विवादों का सामना किया है, अब आलोचना का सामना कर रहे हैं। उनका सरकार चलाने का तरीका अर्थव्यवस्था, विदेश नीति और कोविड-19 महामारी के दौरान की गई गलतियों के कारण सवालों के घेरे में है। ट्रूडो के कार्यकाल में कनाडा की अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ, मुद्रास्फीति बढ़ी और बैंकों के ऋण दरों में भी वृद्धि हुई। इसके अलावा, उन्होंने क्यूबेक में एक निर्माण कंपनी के खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार मामले में हस्तक्षेप करने की कोशिश की थी, जिसके कारण उनकी नीतियों पर उंगलियां उठाई जा रही हैं।

विदेश नीति में भी ट्रूडो ने कई गलतियां की हैं, जिनके कारण कनाडा की वैश्विक छवि पर असर पड़ा। एक समय था जब कनाडा अपने मानवाधिकारों और नैतिक विचारों के कारण दुनिया में सम्मानित था। लेकिन, ट्रूडो के नेतृत्व में, कनाडा की प्रभावशाली छवि कमजोर हुई है। विशेषकर खालिस्तान आंदोलन को लेकर ट्रूडो के बयान ने भारत के साथ कनाडा के संबंधों को और बिगाड़ दिया।

2023 में, ट्रूडो ने भारत पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगाया था। हालांकि, बाद में यह स्पष्ट हुआ कि इस आरोप का कोई ठोस आधार नहीं था। ट्रूडो ने दावा किया कि उनकी जानकारी अमेरिका के ‘फाइव आईज़’ प्रोग्राम से मिली थी, लेकिन जब यह जानकारी गलत साबित हुई, तो उन्होंने अपनी गलती को स्वीकार नहीं किया। इसने न केवल कनाडा-भारत संबंधों को प्रभावित किया, बल्कि अमेरिका के साथ भी कनाडा के रिश्तों में खटास आई।

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इसके अलावा, ट्रूडो ने कनाडा में आतंकवादी समूहों के वित्तपोषण को नजरअंदाज किया, जिससे कनाडा आतंकवाद के वित्तीय नेटवर्क का केंद्र बन गया है। जैसे कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी गुटों को पनाह दी जाती है, वैसे ही तमिल टाइगर और हमास जैसे संगठन भी यहां सक्रिय हैं। ट्रूडो ने अपनी राजनीति को मजबूत करने के लिए इन आतंकवादी समूहों को समर्थन दिया और इसके परिणामस्वरूप कनाडा में आतंकवाद और हिंसा बढ़ी।

अब समय आ गया है कि कनाडा का नया नेतृत्व इन समस्याओं का हल निकाले। कनाडा को अपनी खुफिया जानकारी के उपयोग पर एक स्वतंत्र जांच करनी चाहिए। साथ ही, खालिस्तानी आतंकवादियों और अन्य आतंकवादी संगठनों के वित्तपोषण पर भी कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। यह भी आवश्यक है कि ट्रूडो द्वारा भारत पर लगाए गए आरोपों के लिए माफी मांगी जाए और इसे एक राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया जाए कि कनाडा अपनी विदेशी नीति को सही दिशा में रखें।

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