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महाकुंभ 2025: ममता कुलकर्णी का महामंडलेश्वर पद समाप्त, सिर मुंडवाने से इनकार बना कारण

ममता कुलकर्णी का महामंडलेश्वर पद समाप्त

प्रयागराज: महाकुंभ 2025 में किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने अभिनेत्री ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर पद से हटा दिया है। इसका मुख्य कारण यह बताया गया कि उन्होंने महामंडलेश्वर बनने की पारंपरिक प्रक्रिया के तहत सिर मुंडवाने से इनकार कर दिया। हिंदू परंपरा के अनुसार, महामंडलेश्वर बनने के लिए व्यक्ति को सांसारिक सुखों का त्याग कर संन्यासी जीवन अपनाना पड़ता है, और सिर मुंडवाना इस त्याग का प्रतीक माना जाता है।

सिर मुंडवाने का धार्मिक महत्व

सिर मुंडवाने की परंपरा का गहरा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह क्रिया समानता, त्याग और साधना का प्रतीक मानी जाती है। इसके पीछे निम्नलिखित मान्यताएँ प्रचलित हैं:

  • जाति, धर्म और सामाजिक स्थिति का भेदभाव समाप्त करना – सिर मुंडवाने से सभी साधु-संत समान दिखते हैं।
  • ध्यान और साधना में एकाग्रता – मन को शांत करने और साधना में गहराई लाने के लिए यह प्रक्रिया आवश्यक मानी जाती है।
  • संन्यास और त्याग का प्रतीक – सांसारिक जीवन से मुक्ति और नए आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत का संकेत माना जाता है।

किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया

ममता कुलकर्णी

ममता कुलकर्णी ने हाल ही में प्रयागराज महाकुंभ में संन्यास लेकर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पदवी प्राप्त की थी। उनका नया नाम श्री यमई ममता नंद गिरि रखा गया था। पट्टाभिषेक के दौरान भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, लेकिन सिर मुंडवाने को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया। अखाड़े के संतों का कहना है कि महामंडलेश्वर बनने के लिए सिर मुंडवाना परंपरा का अभिन्न अंग है, और इससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

महामंडलेश्वर पद की पारंपरिक शर्तें

महामंडलेश्वर बनने के लिए कुछ महत्वपूर्ण परंपराओं का पालन करना होता है:

  1. धार्मिक शास्त्रों का गहरा ज्ञान होना चाहिए।
  2. साधना और भक्ति में निपुणता आवश्यक है।
  3. समाज सेवा और धार्मिक कार्यों में समर्पण अनिवार्य है।
  4. सिर मुंडवाने की परंपरा का पालन करना होता है।

किन्नर अखाड़े के संतों का कहना है कि पट्टाभिषेक के दौरान यह परंपरा वर्षों से निभाई जाती रही है, फिर इस बार इसका पालन क्यों नहीं किया गया? संन्यासी बनने के बाद सिर मुंडवाना अनिवार्य है, क्योंकि यह सांसारिक बंधनों से मुक्ति और आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत का प्रतीक है।

सिर मुंडवाने का विशेष महत्व

हिंदू धर्म में पिंडदान और मुंडन को महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। इन दोनों संस्कारों से व्यक्ति आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ता है।

  • गांव दान करने से सांसारिक जीवन से मुक्ति मिलती है।
  • सिर मुंडवाने से व्यक्ति मानसिक और शारीरिक रूप से शुद्ध होता है।
  • प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर मुंडन और गांव दान का विशेष महत्व है।

महाकुंभ 2025 में महामंडलेश्वर पद से ममता कुलकर्णी को हटाया जाना धार्मिक और परंपरागत मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। अखाड़े के संतों का मानना है कि बिना सिर मुंडवाए कोई व्यक्ति संन्यासी जीवन को पूर्ण रूप से स्वीकार नहीं कर सकता। यह विवाद महाकुंभ के धार्मिक आयोजनों और परंपराओं को लेकर नई बहस को जन्म दे सकता है।

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