पटना: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की विशेष अदालत ने बिहार में नकली भारतीय नोटों की तस्करी से जुड़े एक मामले में दो आरोपियों को सात साल की सजा सुनाई है। यह मामला 3 दिसंबर, 2019 को बिहार के पूर्णिया बस स्टैंड से ₹1,90,500 के नकली नोट जब्त होने के बाद सामने आया था।
NIA के मुताबिक, बिहार के मोहम्मद मुमताज और मोहम्मद बैतुल्लाह को दोषी करार देते हुए अदालत ने ₹8,000 का जुर्माना भी लगाया है। जांच में पता चला कि इन आरोपियों का सीधा संबंध नेपाल और बांग्लादेश में सक्रिय नकली नोट तस्करी सिंडिकेट से था।
छह आरोपियों की पहचान, दो अब भी फरार
NIA ने इस मामले में कुल छह आरोपियों की पहचान की थी:
- मोहम्मद मुमताज (बिहार)
- मोहम्मद बैतुल्लाह (बिहार)
- गुलाम मुर्तजा उर्फ सीटू
- सादेक मिया
- बिलटू महतो (नेपाल)
- मोहम्मद मुंशी (बांग्लादेश)
जांच के दौरान गुलाम मुर्तजा की न्यायिक हिरासत में मौत हो गई, जबकि बिलटू महतो और मोहम्मद मुंशी को भगोड़ा घोषित कर दिया गया है।
कैसे चल रहा था नकली नोटों का सिंडिकेट?
NIA की जांच में सामने आया कि गुलाम मुर्तजा नकली नोटों की खेप मोहम्मद मुंशी से प्राप्त करता था। फिर वह यह नोट मोहम्मद मुमताज को सौंपता था, जो बिलटू महतो के निर्देशों पर काम कर रहा था। सादेक मिया भी इस गिरोह का अहम सदस्य था, जो नकली नोटों की तस्करी में मदद करता था।
NIA की चार्जशीट और अदालत का फैसला
NIA ने मई 2020 से जुलाई 2021 के बीच सभी छह आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग चार्जशीट दायर की थी। लंबी सुनवाई के बाद NIA की विशेष अदालत ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए मुमताज और बैतुल्लाह को दोषी ठहराया और सात साल की सजा सुनाई।
विशेषज्ञों का कहना है कि नकली नोटों की तस्करी भारत की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। NIA और अन्य सुरक्षा एजेंसियां इस तरह के गिरोहों को खत्म करने के लिए लगातार जांच कर रही हैं।
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